शुंग वंश का इतिहास : आज के इस पोस्ट में हम आपको पुष्यमित्र शुंग और शुंग वंश के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे यदि आप इतिहास को जानने के लिए इच्छुक हैं तो यह पोस्ट आपके लिए ही है इस पोस्ट में हमने पुष्यमित्र शुंग की जीवनी और शुंग वंश की स्थापना कैसे हुई तथा शुंग वंश से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेगें जिससे आपको शुंग राजवंश के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी हो सके।
पुष्यमित्र शुंग
पुष्यमित्र शुंग की जीवनी – पुष्यमित्र शुंग ही शुंग साम्राज्य के प्रथम राजा थे इन्होंने ही शुंग साम्राज्य की स्थापना की थी पुष्यमित्र शुंग ने ब्रहद्रथ मौर्य साम्राज्य के राजा ब्रदर को मारकर अपने नए साम्राज्य की स्थापना की पुष्यमित्र शुंग के द्वारा सॉन्ग साम्राज्य को और विस्तार किया गया पुष्यमित्र शुंग ने शुंग साम्राज्य की स्थापना सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए की थी क्योंकि मौर्य वंश के राजा ब्रहद्रथ अपने राजपाट में ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे थे और साथ ही में बौद्ध धर्म में अपना ज्यादातर समय बिता रहे थे तथा लोगों को जबरदस्ती बौद्ध धर्म मेला रहे थे।
और उनका धर्मांतरण करा रहे थे जिसकी वजह से ही उसमें तो पुष्यमित्र ने उनकी हत्या करके अपने नए साम्राज्य की शुरुआत की और इन्होंने शुंग वंश की स्थापना 185 ईसा पूर्व में की थी और इन्होंने 185 ईसा पूर्व से लेकर 149 ईसा पूर्व तक शुंग साम्राज्य (Shunga Empire) में राज्य किया।
शुंग वंश (Shung Vansh)
प्राचीन भारत के इतिहास में मौर्य वंश को एक महान और शक्तिशाली राजवंश के रूप में देखा जाता है इस वंश के संस्थापक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को परास्त कर विशाल मौर्य साम्राज्य की स्थापना की फिर उनके पुत्र बिंदुसार और बिंदुसार के पुत्र चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने तो मौर्य साम्राज्य को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया लेकिन सम्राट अशोक के पश्चात मौर्य वंश में अगले शासक उतने सशक्त नहीं हो सके।
जिसके परिणाम स्वरूप अल्प समय में ही मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया अंतिम मौर्य शासक ब्रहद्रथ को उनके ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने जान से मार डाला और सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ले ली और इस प्रकार प्राचीन भारत के इतिहास में मौर्य वंश का पतन और शुंग वंश का आगमन हुआ।
दोस्तों सेनापति पुष्यमित्र शुंग और उनके द्वारा स्थापित शुंग वंश की जानकारी हमें कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाट्य, मालविकाग्निमित्रम्, बौद्ध ग्रंथ दिव्यावरदान और बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षित आदि महान ग्रंथो से प्राप्त होती है इसी के साथ-साथ अयोध्या अभिलेख और विदिशा की गरुड़ स्तंभ से भी हमें इस राजवंश से जुड़े पुरातात्विक प्रमाण देखने को मिलते हैं पुष्यमित्र शुंग द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ के कारण कुछ इतिहासकार पुष्यमित्र शुंग को ब्राह्मण वंशीय मानते हैं लेकिन बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में पुष्यमित्र शुंग को गैर ब्राह्मण और बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित ग्रंथ में उन्हें बताया शुद्र बताया गया है।
इसीलिए शुंग वंश के शासक वास्तव में किस जाति से संबंधित थे यह कह पाना बेहद ही मुश्किल है शुंग काल से जुड़े सभी साहित्यिक और पुरातात्विक साक्ष्यों से प्राप्त होने वाली जानकारी सीमित होने के कारण और उससे तिथि का बोध ना होने के कारण इतिहासकार अनुमान लगाते हैं कि पुष्यमित्र शुंग का शासन काल संभवत 185 ईसा पूर्व से लेकर 149 ईसा पूर्व के मध्य रहा होगा 185 ईसा पूर्व के आसपास ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य साम्राज्य के राजा ब्रहद्रथ की हत्या कर मगध का सिहासन हासिल कर लिया होगा लेकिन यहां पर एक बड़ा सवाल हो जाता है।
कि सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने अपनी ही सम्राट की हत्या क्योंकि किया इस पर बहुत इतिहासकारों का मानना है कि सम्राट ब्रहद्रथ के समय काल में ही मगध साम्राज्य पर यवन आक्रमण का खतरा मंडरा रहा था महर्षि पतंजलि जो ब्रहद्रथ और पुष्यमित्र शुंग के समकालीन थे उन्होंने अपने महाभास्य में यवनों द्वारा साकेत और माध्यमिक पर आक्रमण का वर्णन किया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि उस समय यवन मगध के नगरों पर हमले कर रहे थे और मगध की जनता यवन अत्याचार से पीड़ित थी लेकिन मगध की सेना कुछ नहीं कर रही थी।
क्योंकि ब्रहद्रथ अभी भी अहिंसा के पक्षधर थे और वे यवन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का आदेश नहीं दे रहे थे ऐसे में सेनापति पद के दायित्व को निभाते हुए पुष्यमित्र शुंग ने अपने राजा के खिलाफ संघर्ष छेड़ा और उनकी हत्या कर दी मगध की सेना ने पुष्यमित्र शुंग का समर्थन किया और पुष्यमित्र को अपने अगले राजा के रूप में स्वीकार कर लिया सत्ता की बागडोर संभालते ही इन्होंने अपनी राजधानी को पाटलिपुत्र से हटाकर अयोध्या में स्थापित कर दिया आधुनिक मध्य प्रदेश विदिशा नगर भी पुष्यमित्र शुंग की राजधानी का दूसरा स्थान था।
पुष्यमित्र शुंग के पुत्र अग्निमित्र विदिशा की गोप्ता अर्थात उप राजा थे बौद्ध ग्रंथ दिव्यवादन में पुष्यमित्र शुंग को बौद्ध धर्म का उत्पीड़क बौद्ध साधुओं का हत्यारा और बुध विहारों को तोड़ने वाला आदि बताया गया है हो सकता है कि पुष्यमित्र शुंग बौद्ध विरोधी रहे हो लेकिन बरहूद के स्तूप का निर्माण और सांची के स्तूप का जीर्णोद्धार पुष्यमित्र शुंग इस बात को नकारा नहीं जा सकता पुष्यमित्र शुंग के हाथों सत्ता आने के बाद दुर्बल बन चुके मगध साम्राज्य को बल मिला जो राज्य मगध की अधीनता त्याग चुके थे।
पुष्यमित्र शुंग ने उन्हें फिर से अपने अधीन कर लिया धनदेव की अयोध्या अभिलेख से हमें यह पता चलता है कि इन्होंने अपने कार्यकाल में दो अश्वमेध यज्ञों का अनुष्ठान किया था इसकी पुरोहित स्वयं महर्षि पतंजलि थे इससे यह स्पष्ट होता है कि पुष्यमित्र शुंग ने अपने अभियानों से मगध की सीमाओं का और विस्तार किया था विदर्भ राज्य पर विजय उसका एक अच्छा उदाहरण है मौर्य काल में विदर्भ राज्य में यज्ञसेन नामक राज्यपाल था लेकिन मगध की दुर्बलता का लाभ उठाकर उसने स्वयं को विदर्भ का स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया।
लेकिन बाद में पुष्यमित्र शुंग के आदेश पर उनके पुत्र अग्नि मित्र ने विदर्भ राज्य पर आक्रमण किया और राज्यपाल यज्ञ सेन को परास्त कर विदर्भ राज्य को मगध साम्राज्य के अधीन कर लिया कालिदास की प्रसिद्ध नाटक मालविकाग्निमित्रम् में यज्ञ सेन चचेरी बहन मालविका और अग्नि मित्र की प्रेम कथा के साथ-साथ विदर्भ विजय का वृतांत भी उल्लेखित है सन 149 ईसा पूर्व के आसपास और उनका पुत्र अग्निमित्र साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना।
शुंग वंश की स्थापन
शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग के द्वारा की गई थी पुष्यमित्र शुंग ने ब्रहद्रथ मौर्य को मारकर शुंग वंश की स्थापना की थी पुष्यमित्र मौर्य वंश के राजा बृहद्रथ मौर्य के सेनापति थे पुराने इतिहासकारों और के ग्रंथों के मुताबिक माना जाता है कि 180 ईसा पूर्व के करीब पुष्यमित्र शुंग ने बृहद्रथ की हत्या करके शुंग वंश की स्थापना कर दिया था।
शुंग वंश के शासक कौन कौन थे
क्र.सं. | शासक | शासन काल |
---|---|---|
1 | पुष्यमित्र शुंग | 180 ईसा पूर्व – 149 ईसा पूर्व |
2 | अग्निमित्र | 149 ईसा पूर्व – 141 ईसा पूर्व |
3 | वसुजेष्ठ | 141 ईसा पूर्व – 131 ईसा पूर्व |
4 | वसुमित्र सिंघम | 131 ईसा पूर्व – 124 ईसा पूर्व |
5 | आंध्रक | 124 ईसा पूर्व – 122 ईसा पूर्व |
6 | पुलिंदक | 122 ईसा पूर्व – 111 ईसा पूर्व |
7 | घोष | 111 ईसा पूर्व – 107 ईसा पूर्व |
8 | वज्रमित्र | 107 ईसा पूर्व – 94 ईसा पूर्व |
9 | भगभद्र | 94 ईसा पूर्व – 83 ईसा पूर्व |
10 | देवभूति | 83 ईसा पूर्व – 73 ईसा पूर्व |
शुंगकालीन वास्तुकला/शिल्पकला
शुंग काल के दौरान बहुत सी वस्तुकला और शिल्पकला का निर्माण किया गया था जिसकी सूची नीचे दी हुई है जिसको पढ़कर आप शुंग कालीन वस्तु कला और शिल्पकला के बारे में जान सकते हैं।
- सांची स्तूप की पाषाण पर उत्कीर्ण वेदियां ।
- विदिशा का गरुण स्तंभ
- भाजा का चैत्य इन विहार ।
- नासिक तथा कार्ले के चैत्य ।
- मथुरा की यह याछिणियों की मूर्तियां
- भरहुत का स्तूप|
शुंग वंश Gk Questions
- शुंग वंश की राजधानी का नाम क्या है? – अयोध्या
- शुंग वंश की स्थापना किसने की थी? – पुष्यमित्र शुंग ने
- शुंग वंश की राजधानी कहां थी? – अयोध्या में
- शुंग वंश का प्रथम शासक कौन था? – पुष्यमित्र शुंग
- पुष्यमित्र शुंग के बेटे का नाम क्या था? – अग्निमित्र
- पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु कब हुई थी? – 149 ईसा पूर्व के करीब
- शुंग वंश का संस्थापक कौन था? – पुष्यमित्र शुंग था
- शुंग वंश की स्थापना कैसे हुई थी? – मौर्य वंश के राजा को मार कर
- पुष्यमित्र सुंगा ने किसको मार कर संगा वंश की स्थापना की थी? – बृहद्रथ मौर्य को
- बृहद्रथ मौर्य को किसने मारा था? – पुष्यमित्र शुंग ने
- सुना वंश की स्थापना कब हुई? – 180 ईसा पूर्व
- पुष्यमित्र शुंग कौन सी जाति का था? – इसका कोई ठोस सबूत नहीं है
- क्या पुष्यमित्र शुंग ब्राह्मण था? – कुछ इतिहासकारों का मानना था कि पुष्यमित्र शुंग ब्राम्हण है लेकिन कुछ का मानना यह था कि वह शुद्र है